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96 pages, Kindle Edition
First published January 1, 1952
प्या� आत्माओ� की गहराईयों मे� सोये हु� सौंदर्� के संगी� को जग� देता है, हममे� अज�-सी पवित्रता, नैति� निष्ठा और प्रकाश भर देता हैभूमिका मे� के कु� शब्द लेखक की प्रशंस� के लि� उल्लेखनी� है
धर्मवी� भारती हिंदी की उन उठती हु� प्रतिभाओ� मे� से है� जि� पर हिंदी का भविष्य निर्भर करता है और जिन्हे� देखक� हम कह सकते है� की हिंदी उस अंधियारे अंतराल को पा� कर चुकी है जो इतने दिनो� से मानो अंतही� दी� पड़त� था�