“सब अपने रास्ते चल रह� है� अपनी अपनी मंजि� की ओर - कु� जा रह� है� नर� की ओर तथ� कु� स्वर्ग की ओर�
लेकि� आज के ले� मे� यह स्वर्ग और नर्क को� आसमा� मे� स्थि� स्था� नही� है बल्क� यही जग� है जिसमें हम रहते है� जो हमारी सो� और कर्मों का प्रतिबिं� है�
ये सच है कि जन्म से हमारी प्रकृत� और स्वभाव अल� अल� है� लेकि� जैसे बबूल, बबूल ही रहेग� और आम, आम ही रहेगा�. ये बा� हम पर लागू नही होती है� हम बबूल हो कर भी आम के गु� और स्वभाव धारण कर सब कु� पल भर मे� बद� सकते हैं।
इसीलि� आज प्रभ� से प्रार्थन� है कि आपको अज्ञानता का आभास हो जाये और आपके भा�, स्वभाव और कार्� करने का ढं� और दृष्टिको� बद� जाये जिसस� आप इसी शरी� से इसी संसा� मे रहते हु� दे� पद प्राप्� कर स्वर्ग जैसे आनंद को प्राप्� कर सकें� मंगल शुभकामनाएं�
श्री रामा� नमः। � हं हनुमते नमः।”
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