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आनंद मठ
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भल� मै� इस अद्भुत साहित्यकृत� की क्या समीक्षा करूं? मेरी उतनी योग्यत� नहीं।
भारतवर्ष के लोकसाहित्य इतिहास मे� इस महान कथ� का स्वर्णिम स्था� है� जिसन� वंदे मातर� मंत्� हमें दिया उस ग्रंथक� और उसके ग्रंथकार को शत शत नमन।
बस एक बा� आखिर मे� हृदय को चु� गयी� जि� संन्यासी विद्रो� का अतीवसुंदर, वीरर� तथ� भक्तिर� पूर्� वर्ण� इस कथ� मे� किया है उसकी समाप्त� म्लेच्� रा� नष्ट करके स्वतंत्रता की जग� कंपनी रा� लाने मे� हुई। इत�: प्रभुकी इच्छ�!
🙏हर� मुरारे मधुकैटभारे�
वंदे मातरम�
भारतवर्ष के लोकसाहित्य इतिहास मे� इस महान कथ� का स्वर्णिम स्था� है� जिसन� वंदे मातर� मंत्� हमें दिया उस ग्रंथक� और उसके ग्रंथकार को शत शत नमन।
बस एक बा� आखिर मे� हृदय को चु� गयी� जि� संन्यासी विद्रो� का अतीवसुंदर, वीरर� तथ� भक्तिर� पूर्� वर्ण� इस कथ� मे� किया है उसकी समाप्त� म्लेच्� रा� नष्ट करके स्वतंत्रता की जग� कंपनी रा� लाने मे� हुई। इत�: प्रभुकी इच्छ�!
🙏हर� मुरारे मधुकैटभारे�
वंदे मातरम�
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