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धर्मवीर भारती
“या तो प्या� आदमी को बादलों की ऊँचा� तक उठ� ले जाता है , या स्वर्ग से पाता� मे� फेंक देता है।लेकिन कु� प्राणी है�, जो � स्वर्ग के है� � नर� के, वे दोनो� लोको� के बी� मे� अंधकार की परतो� मे� भटकत� रहते हैं। वे किसी को प्या� नही� करते, छायाओं को पकड़न� का प्रयास करते है�, या शायद प्या� करते है� या निरंतर नयी अनुभूतियों के पीछे दीवाने रहते है� और प्या� बिलकुल करते ही नही� ......... कपूर, मै� उसी अभाग� लो� की एक प्यासी आत्म� थी�”
धर्मवी� भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहो� का देवत�

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