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धर्मवीर भारती
“अग� पुरु� के होठो� मे� तीखी प्या� � हो, बाहुपाशो� मे� जह� � हो तो वासन� की इस शिथिलत� से नारी फ़ौरन सम� जाती है की संबंधो� मे� दूरी आत� जा रही है� सम्बन्धो� की घनिष्टता को नापन� का नारी के पा� एक ही मापदंड है, चुम्बन का तीखापन!”
धर्मवी� भारती [Dharamvir Bharati], गुनाहो� का देवत�

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