Vinod Kumar Shukla
Born
in Rajnandgaon, CG, India
January 01, 1937
Genre
Influences
Muktibodh
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दीवा� मे� एक खिड़की रहती थी
11 editions
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published
1997
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नौकर की कमीज़
8 editions
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published
1979
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Blue is Like Blue
by |
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अतिरिक्त नही�
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हरी घा� की छप्प� वाली झोपडी और बौना पहाड�
by |
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The Windows In Our House Are Little Doors
by |
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प्रतिनिध� कविताए�: विनो� कुमा� शुक्�
2 editions
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published
2013
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खिलेगा तो देखेंग�
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महाविद्याल� [Mahavidyalaya]
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सब कु� होना बच� रहेग�
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published
2007
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“रघुव� प्रसाद का आकाश देखन� रघुव� प्रसाद का चिठ्ठी लिखन� होगा� चंद्रम� सोनसी के लि� लिखा हु� संबोधन होगा� तारो की लिपि होगी जिसे तत्काल सोनसी पढ़ लेगी� रघुव� प्रसाद कसौटी के पत्थ� पर लेटक� एक बड़� आकाश देखेंगे। बड़� आकाश लंबी चिठ्ठी होगी� सोनसी खिड़की से छोटा आकाश देखेगी तो छोटी चिठ्ठी होगी� आकाश एक दूसर� को लिखी चिठ्ठी होगी�
दरवाजा खोलक� आकाश दे� लेते थे, सोनसी की चिठ्ठी है� सोनसी भी दे� लेती होगी की रघुव� प्रसाद की चिठ्ठी है� कभी आकाश मे� बहुत सारे तारे होते� कभी इक्क� दुक्के दिखा� देते� इक्क� दुक्के तारो� का आकाश लिखन� का सम� नही मिला जैसा या थोड़ी थोड़ी लिखी जा रही चिठ्ठी जैसा था�”
― दीवा� मे� एक खिड़की रहती थी
दरवाजा खोलक� आकाश दे� लेते थे, सोनसी की चिठ्ठी है� सोनसी भी दे� लेती होगी की रघुव� प्रसाद की चिठ्ठी है� कभी आकाश मे� बहुत सारे तारे होते� कभी इक्क� दुक्के दिखा� देते� इक्क� दुक्के तारो� का आकाश लिखन� का सम� नही मिला जैसा या थोड़ी थोड़ी लिखी जा रही चिठ्ठी जैसा था�”
― दीवा� मे� एक खिड़की रहती थी
“यह चेतावनी है
कि एक छोटा बच्च� है.
यह चेतावनी है
कि चा� फू� खिले है�.
यह चेतावनी है
कि खुशी है
और घड़े मे� भर� हु� पानी
पीने के लायक है,
हव� मे� सॉंस ली जा सकती है.
यह चेतावनी है
कि दुनिया है
बची दुनिया मे�
मै� बच� हु�
यह चेतावनी है
मै� बच� हु� हू�.
किसी होने वाले युद्� से
जीवि� बच निकलकर
मै� अपनी
अहमियत से मरना चाहत� हू�
कि मरने के
आखिरी क्षणों तक
अनंतका� जीने की कामन� करूं
कि चा� फू� है
और दुनिया है”
― सब कु� होना बच� रहेग�
कि एक छोटा बच्च� है.
यह चेतावनी है
कि चा� फू� खिले है�.
यह चेतावनी है
कि खुशी है
और घड़े मे� भर� हु� पानी
पीने के लायक है,
हव� मे� सॉंस ली जा सकती है.
यह चेतावनी है
कि दुनिया है
बची दुनिया मे�
मै� बच� हु�
यह चेतावनी है
मै� बच� हु� हू�.
किसी होने वाले युद्� से
जीवि� बच निकलकर
मै� अपनी
अहमियत से मरना चाहत� हू�
कि मरने के
आखिरी क्षणों तक
अनंतका� जीने की कामन� करूं
कि चा� फू� है
और दुनिया है”
― सब कु� होना बच� रहेग�
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