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Bihar Quotes

Quotes tagged as "bihar" Showing 1-9 of 9
Puja Upadhyay
“� सुनो �, महादुष्ट और चोट्टेकुमा�, मुझे एक चिट्ठी लिखो �! हे आलसावतार, तुमस� कोढ़ी भी लज� जा�. हमरा एतना चिट्ठी पढ़े हो बै� के जाड़� मे�, चूल्हा मे� पकाय� अल्ल� खाते हु�. भुक्खड� रे, � सब से ऊप� उठ के एक ठो हमको चिट्ठी लिखो �. ऐस� कईसे चलेग�, खाली कोहर� पी के जि� आदमी, बतला�, ठंढा का दि� आय�, हा� गोड़ अकड़ रह� है. � गो तुमर� चिट्ठी आत� तो हम भी � बै� के अलाव तापत� हु� पढ़त�. बचवन सब को बतलाते � हमार चोट्टा दोस्� है. तु� लो� अग� बेसी सुधर� हु� निकल गए कही� गलती से तो तु� सबको इसी के पा� भे� देंग�, चोट्टागिरी का ट्यूशन लगान�.”
Puja Upadhyay, Teen Roz Ishq

Abhishek Ojha
“जहाँ तक ज्ञा� का बा� है तो एक बा� जा� लीजि�, � बिहा� है! यहाँ किसी को ज्ञा� हो जाएगा। आपको क्या लगता है बुद्� को यही� आक� ज्ञा� क्यो� मिला? आय� इध� कु� दि� के लिए� राजा आदमी थे� इध� आक� लू�-पि� गए होंगे। कु� दि� भू� से पटपटाये� हो गय� ज्ञा�! कथाओ� मे� जो भी लिखे को�, हु� यही होगा�”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“यहाँ कभी कृष्� आए थे, जरासंध का अखाड़ा देखे हम लो�, बुद्� और महावी� भी� सब आक� चल� गए� � आज का जो मग� है आप देखि� रह� हैं। हिहे� नालंदा भी था� क्या कीजिएगा। जब वो लो� इस� हमेश� के लि� स्वर्ग नही� बन� पा� तो हम लो� का उखाड� लेंगे। जब नेतव� सब कहता है कि पाँच सा� मे� बिहा� को ये बन� देंग� वो बन� देंग� तो हम यही सोचत� हैं।”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“ये पटना शह� गंगा जी जैसा है� सबका पा� धो लेता है� सबको समाहित कर लेता है अपने अंदर� कभी बरसा� मे� पटना मे� गंगा किनारे जाइए� सब जलमग्न दीखत� है - क्षिति� तक� घो� मटमैला� लगता है प्रल� � गया। � उसी मे� घोरा� हु� पानी मे� बी�-बी� मे� बहता हु� दी� जाता है- कभी छप्प� तो कभी को� जीव। कही� दू� दी� जाते है� किसी बहते से टीले पर बैठे हु� कौवे� वो होती है किसी प्राणी की लाश। गंगा सब लि� जाती है� जो उसमे� पड़ जाए। बिना शिकायत� वैसे ही है ये शहर। उसके बा� उसी से उपजा� भी तो बनता है ये पूरा बेल्ट। आप को नर� भी मिलेगा लेकि� सब एक सा� देखेंग� तो सर झुका कर प्रणाम कर लेंगे। जब शांत हो तब इध� डुबकी लगाइए।”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“थोड़ा जादे गंदगी है, का कीजिएग� कुकु� ही नही� यहाँ आदमी भी खंभा दे� के उसी का इस्तेमाल करते हैं। कभी आपके दिमा� मे� आय� है कि ये खंभा भी कभी तो एकदम फरेस� चूना-पालि� मारक� एकदम चकाच� रह� होगा� फि� अइसा कौ� आदमी होगा जो पहली बा� मुँह उठ� के थूका होगा? माने अभी तो गंदा है तो लग रह� है कि जगहे है थूकन� का� लेकि� जब चम� रह� होगा तब जो सर्र से थू� के ला� कर दिया होगा� उसको मज़� आय� होगा क्या? चमचमाती दीवा� दे� थूकन� वाले का थूकन� के लि� जी मच� जाता होगा या उसको थू� कर बुरा लगता होगा?”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“बीरेंद� ने अपनी दोस्� का परिच� कराय� “मिलिए हमारी दोस्� मेंट� से� जानत� है� भैया क्या हु�? हम भगवा� से मांग� थे मानसिक शांति। � � हु� का कि अङ्ग्रेज़ी-हिन्दी के चक्क� मे� थोड़� गरबर� गया। हमार� उच्चार� भी तो वही है� तो भगवानजी हमको ‘मेंटल पीस� का जग� एक ठो 'मेंट� पी�' दे दिये�”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“जो भी का� कर� उसीमे� दिमा� और मन लगाओ� माने घासे छिलो तो साला ऐस� कि गोल्� कोर्� का कॉन्ट्रैक्� मि� जाए।”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

Abhishek Ojha
“� मौसम बैज्ञानि� के सा�, गर्मी मे� गर्मी नही� होगा � शीतलहरी चलेग� रे? � जानत� है� भैया जो जेतन� गर्मी-गर्मी चिल्ला रह� है ना, अग� कल को पटना मे� गलती से बर्फ पड� गया� � इह� सब आदमिया आपको जीने नही� देगा कि देखो कैसे मौसम का मा�-बह� हो गय� है!”
Abhishek Ojha, लेबंटी चा� | Lebanti Chah

“The differences in the life chances of the rich and the poor, men and women, Brahmins and Doms and, for that matter, Keralites and Biharis, Hindus and Muslims across India are so sharp that, until these inequalities are bridged, it is impossible for the nation as a whole to prosper, let alone be a world leader.”
Swati Narayan, UNEQUAL: Why India Lags Behind Its Neighbours