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Munshi Premchand
“गुड़ घर के अंदर मटको� मे� बं� रख� हो, तो कितन� ही मूसलाधार पानी बरसे, को� हानि नही� होती; पर जि� वक़्त वह धू� मे� सूखन� के लि� बाहर फैलाया गय� हो, उस वक़्त तो पानी का एक छींट� भी उसका सर्वना� कर देगा� सिलिया”
Munshi Premchand, गोदा� [Godan]

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