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“द्वेष का मायाजा� बड़ी-बड़ी मछलियो� को ही फँसाता है� छोटी मछलिया� या तो उसमे� फँसती ही नही� या तुरं� निकल जाती हैं। उनके लि� वह घातक जा� क्रीड़ा की वस्त� है, भय की नहीं।”
― गोदा� [Godan]
― गोदा� [Godan]
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