मधुशाल� Quotes

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मधुशाल� Quotes
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“मदिराल� जाने को घर से चलता है पीनेवाला, ‘किस पथ से जाऊँ� असमंजस मे� है वह भोलाभाला; अल�-अल� पथ बतलाते सब पर मै� यह बतलाता हूँ� ‘राह पकड़ तू एक चल� चल, पा जाएग� मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“भावुकत� अंगू� लत� से खींच कल्पना की हाला, कव� साक़ी बनकर आय� है भरकर कवित� का प्याला; कभी � कण भर खाली होगा, ला� पिएँ, दो ला� पिएँ! पाठक गण है� पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाल� | 4”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“कभी नही� सु� पड़त�, ‘इसन�, हा, छू दी मेरी हाला�, कभी � को� कहता, ‘उसन� जूठा कर डाला प्याला�; सभी जाति के लो� यहाँ पर सा� बैठक� पीते है�; सौ सुधारकों का करती है का� अकेली मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“मुसल्मान औ� हिन्दू है� दो, एक, मग�, उनका प्याला, एक, मग�, उनका मदिराल�, एक, मग�, उनकी हाला; दोनो� रहते एक � जब तक मस्जिद-मन्दिर मे� जाते; वै� बढ़ाते मस्जिद-मन्दिर मे� कराती मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“दुतकार� मस्जिद ने मुझक� कहकर है पीनेवाला, ठुकराय� ठाकुरद्वार� ने दे� हथेली पर प्याला, कहाँ ठिकाना मिलत� जग मे� भल� अभाग� काफि� को शरणस्थ� बनकर � मुझे यद� अपना लेती मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“धर्म-ग्रं� सब जल� चुकी है जिसक� अन्त� की ज्वाला, मंदि�, मस्जिद, गिरजे—सबक� तोड़ चुका जो मतवाला, पंडि�, मोमि�, पादरियों के फंदो� को जो का� चुका कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“ला� सुरा की धा� लप�-सी कह � इस� देना ज्वाला, फेनि� मदिर� है, मत इसको कह देना उर का छाला, दर्द नश� है इस मदिर� का विगत स्मृतिया� साक़ी है�; पीड़� मे� आनन्� जिसे हो, आए मेरी मधुशाल� | 14”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“चलने ही चलने मे� कितन� जीवन, हा�, बिता डाला ! ‘दूर अभी है�, पर, कहता है हर पथ बतलाने वाला; हिम्मत है � बढूँ आग� को साहस है न—फिरूँ पीछे; किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दू� खड़ी है मधुशाल� | 7”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“हाथो� मे� आन�-आन� मे�, हा�, फिसल जाता प्याला, अधरो� पर आन�-आन� मे�, हा�, ढल� जाती हाला; दुनि� वालो, आक� मेरी किस्मत की खूबी देखो रह-रह जाती है बस मुझक� मिलत�-मिलत� मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“जो हाला मै� चा� रह� था, वह � मिली मुझक� हाला, जो प्याला मै� माँग रह� था, वह � मिला मुझक� प्याला, जि� साक़ी के पीछे मै� था दीवाना, � मिला साक़ी, जिसक� पीछे मै� था पागल, हा, � मिली वह मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“ज्ञा� हु� यम आन� को है ले अपनी काली हाला, पंडि� अपनी पोथी भूला, साधू भू� गय� माला, और पुजारी भूला पूजा, ज्ञा� सभी ज्ञानी भूला, किन्तु � भूला मरकर के भी पीनेवाला मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“मेरे शव पर वह रो�, हो जिसक� आँसू मे� हाला, आह भर� वह, जो हो सुरभित मदिर� पीकर मतवाला, दे� मुझक� वे कंधा जिनक� पद मद-डगमग होते हो� और जलूँ उस ठौ�, जहाँ पर कभी रही हो मधुशाल� | 83 और चिता पर जा� उँडेला पात्� � धृ� का, पर प्याला घं� बँधे अंगू� लत� मे�, नी� � भरकर, भर हाला, प्राणप्रिय�, यद� श्राद्� कर� तु� मेरा, तो ऐस� करना� पीनेवालो� को बुलवाक�, खुलव� देना मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“या� � आए दुखम� जीवन इससे पी लेता हाला, जग चिंताओ� से रहने को मुक्�, उठ� लेता प्याला, शौ�, सा� के और स्वा� के हेतु पिया जग करता है, पर मै� वह रोगी हू� जिसकी एक दव� है मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भू� गय� अल्लाताल�, गाज़ गिरी, पर ध्या� सुरा मे� मग्न रह� पीनेवाला; शे�, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को अभी युगो� तक सिखलाएगी ध्या� लगान� मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“सजें � मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताल�, सजधजकर, पर, साक़ी आत�, बन ठनकर, पीनेवाला, शे�, कहाँ तुलन� हो सकती मस्जिद की मदिराल� से चि�-विधव� है मस्जिद तेरी, सद�-सुहागि� मधुशाल� !”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“एक बर� मे� एक बा� ही जलती होली की ज्वाला, एक बा� ही लगती बाज़ी, जलती दीपो� की माला; दुनियावालो�, किन्तु, किसी दि� � मदिराल� मे� देखो, दि� को होली, रा� दिवाली, रोज़ मानती मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“हर�-भर� रहता मदिराल�, जग पर पड� जा� पाला, वहाँ मुहर्र� का तम छा�, यहाँ होलिका की ज्वाला; स्वर्ग लो� से सीधी उतरी वसुध� पर, दु� क्या जाने; पढ़े मर्सिय� दुनिया सारी, ईद मानती मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“बिना पिये जो मधुशाल� को बुरा कह�, वह मतवाला, पी लेने पर तो उसके मुँह पर पड� जाएग� ताला; दा�-द्रोहियो� दोनो� मे� है जी� सुरा की, प्याले की, विश्वविजयिनी बनकर जग मे� � � मेरी मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“बन� पुजारी प्रेमी साक़ी, गंगाजल पावन हाला, रह� फेरत� अविर� गत� से मध� के प्यालो� की माला, ‘औ� लिये जा, और पि� जा’� इसी मंत्� का जा� कर�, मै� शि� की प्रतिम� बन बैठू� | मंदि� हो यह मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“मुसल्मान औ� हिन्दू है� दो, एक, मग�, उनका प्याला, एक, मग�, उनका मदिराल�, एक, मग�, उनकी हाला; दोनो� रहते एक � जब तक मस्जिद-मन्दिर मे� जाते; वै� बढ़ाते मस्जिद-मन्दिर मे� कराती मधुशाल� � 50”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“धर्म-ग्रं� सब जल� चुकी है जिसक� अन्त� की ज्वाला, मंदि�, मस्जिद, गिरजे—सबक� तोड़ चुका जो मतवाला, पंडि�, मोमि�, पादरियों के फंदो� को जो का� चुका कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाल� | 17”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“जगती की शीतल हाला-सी पथिक, नही� मेरी हाला, जगती की ठंडे प्याले-सा, पथिक, नही� मेरा प्याला, ज्वा�-सुरा जलते प्याले मे� दग्ध हृदय की कवित� है; जलने से भयभी� � जो हो, आए मेरी मधुशाल� | 15”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“मदिराल� जाने को घर से चलता है पीनेवाला, ‘किस पथ से जाऊँ� असमंजस मे� है वह भोलाभाला; अल�-अल� पथ बतलाते सब पर मै� यह बतलाता हूँ� ‘राह पकड़ तू एक चल� चल, पा जाएग� मधुशाल� | 6”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“कभी निराशा का तम धिरत�, छि� जाता मध� का प्याला, छि� जाती मदिर� की आभ�, छि� जाती साक़ीबाला, कभी उजाल� आश� करके प्याला फि� चमका जाती, आँखमिचौनी खे� रही है मुझस� मेरी मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“पा� अग� पीना, समदोषी तो तीनों—साक़ी बाला, नित्� पिलानेवाला प्याला, पी जानेवाली हाला; सा� इन्हें भी ले चल मेरे न्या� यही बतलाता है, क़ैद जहाँ मै� हू�, की जा� क़ैद वही� पर मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“आज मिला अवसर तब फि� क्यो� मै� � छकूँ जी भर हाला, आज मिला मौका, तब फि� क्यो� ढा� � लू� जी भर प्याला, छेड़छाड़ अपने साक़ी से आज � क्यो� जी भर कर लू�, एक बा� ही तो मिलनी है जीवन की यह मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“सो�-सुरा पुरख� पीते थे, हम कहते उसको हाला, द्रो�-कल� जिसक� कहते थे, आज वही मधुघ� आल�; वे�-विहि� यह रस्म � छोड़�, वेदो� के ठेकेदारो�, यु�-यु� से है पुजती आई नई नही� है मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�
“आज कर� परहेज़ जग�, पर कल पीनी होगी हाला, आज कर� इन्कार जरात पर कल पीना होगा प्याला; होने दो पैदा मद का महमू� जग� मे� को�, फि� जहाँ अभी है� मन्दिर-मस्जिद वहाँ बनेगी मधुशाल�”
― मधुशाल�
― मधुशाल�