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शुद्धि Quotes

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शुद्धि शुद्धि by Vandana Yadav
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शुद्धि Quotes Showing 1-19 of 19
“ज़िन्द� आदमी से असहमतियो� पर खीजत� हु� उम्र बितायी जा सकती है, मग� मृ� दे� से लिपटकर एक रा� गुज़ारना भी मुश्कि� होता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“शिकव�-शिकायत बातची� का मौक़� देता है जिसस� सुलह की उम्मी� बंधती है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“तैयारी मुकम्म� होने के बा� पहला प्रहार सामन� वाले की ओर से कि� जाने का इंतज़ा� करना, कारग� रणनीति होती है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“शोषण का फल अशिक्ष� के वृक्� पर उगता है, जिसमें अधिकारों की जानकारी ना होना खा� का का� करती है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“डर एक हद तक ही डरात� है� भय की सीमा-रेखा पा� करने के बा� दब�-कुचल� लो�, आंदोलनकारी बन जाते हैं।”
Vandana Yadav, शुद्धि
“पेचीदा रिश्ते, जीवन मे� पेचीदगियाँ पैदा कर देते हैं।”
Vandana Yadav, शुद्धि
“जिम्मेदारी लेने के लि� जिम्मेदा� होना पड़त� है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“परंपराएं हमारी धारणाओ� की नींव पर खड़ी ऐसी इमार� है जिसक� शिक्षा और शास्त्रो� से को� सरोकार नही� है� भगवत गीता पढ़न� वाले, आत्म� को मो�-माया से दू� मानत� है� मग� मृ� व्यक्त� की आत्म� के तेरह दि� घर मे� रहने की परंपरा पर यक़ी� कर लेते हैं।”
Vandana Yadav, शुद्धि
“समाज उन लोगो� के रास्ते मे� बेड़ियाँ ड़ालता है, जो उसकी परवा� करते हैं। अपनी मर्जी करने वालो� से वह भय खाता है और भयभी� लो�, योद्धा नही� होते�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“जि� लोगो� मे� सच कहने की हिम्मत नही� होती, वह सच के सा� खड़े होने का हौसल� भी नही� रखते�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“बच्चों की परवरिश, महासाग� से अमृत की बूंदें निकालन� जितन� पेचीदगी भर� का� होता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“...हम औरते� चूल्हे की लकड़ियों की तर� होती है� जो परिवार के लि� जल कर रा� हो जाती हैं। पर को� हमार� लि� दो शब्द भी अच्छ� नही� बोलता। सदियों से हमने खुदक� चूल्हे के हवाल� कर रख� है� अब टे� � गय� है भूमिका बदलन� का� तू� कर सकती है इसीलि� कह रही हू�, चूल्हे से बाहर निकल कर जल� जलना ही है तो मशाल बन कर रौशनी फैला�' आधी सदी पा� वाली अपने भीतर जलती आग को सीमा के हवाल� करके चली गई�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“तमाश� हर स्थिति पर विजय हासि� कर लेता है चाहे वह स्थिति दु� की ही क्यो� ना हो�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“परिस्थितियाँ बदलन� से जीवन के मूल्� नही� बदलते।”
Vandana Yadav, शुद्धि
“जुआरी भयान� तरीक़� से आशावादी होता है� भविष्य से अनजा� वह दांव पर दांव लगात� है� मानव इतिहास का पहला जुआरी किसा� था� आज भी उसके जैसा जू� और को� नही� खेलता। कुदर� पर जु� लगान� वाला वह अकेल� प्राणी है जो अपने हौसल� की बाजी लड़ाता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“ज़िंदा आदमी से असहमतियो� पर खीजत� हु� उम्र बिता� जा सकती है, मग� मृ� दे� से लिपटकर एक रा� गुजारन� भी मुश्कि� होता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“इंसा� सामाजि� प्राणी है� उस� सु�-दु� बांटने और दिखावा करने के लि� उसी समाज की ज़रूरत होती है, जिसमें वह रहता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“दिखावे का बो� ढोता समाज खुशी के समान, विशे� दिनो� मे� दु:� का भी सार्वजनि� उत्स� मन� लेता है�”
Vandana Yadav, शुद्धि
“परम्पराए�, हमारी धारणाओ� की नींव पर खड़ी ऐसी इमार� है जिसक� शिक्षा और शास्त्रो� से को� सरोकार नही� है�”
Vandana Yadav, शुद्धि