आखिर शक्तिमान ने मा� ली हमारी बात�!
पहले शाकालाका बू�-बू� की पेंसिल से टीवी बनान� की ला� कोशि� कर चुके थे� शक्तिमान से भी कह� था कि क्या वो एक टीवी नही दे सकता� और चूंक� उस उम्र मे� गांव के लोकल देवताओ� पर ज्यादा भरोस� नही� था लेकि� उनसे भी तमाम मनौतियाँ की गई थी� कि हे मशान बाबा, एक टीवी का आशीर्वा� देने से आप छोटे नही� हो जाएंगे� मोहल्ल� मे� सबके घर तो है, बस हमार� घर टीवी � होने के कारण हमें बहुत कष्ट झेलन� पड़ रह� है�
आखिरका� मसान बाबा ने सु� लिया और घर वालो� ने एक सुबह घोषण� कर दिया कि चाहे� हिमालय मे� आग लग� या बंगा� की खाड़ी मे� पत्थ� परे। आज तो टीवी आक� रहेगी�
देखत�-देखत� ही ये ब्रेकिंग न्यू� पूरे गाँव भर मे� फै� गई� हमार� चेहर� पर रंगोली और चित्रहार दोनो� एक सा� उभ� आए..घर वालो� ने कह�, आज स्कू� मत जावो� पापा के सा� एक आदमी एक्स्ट्र� तो चाहि� न।
उस दि� सुबह नह� धोकर हम तैया� थे� इतना उत्साह और उमंग तो हमें सिर्� मेला देखन� के ना� पर ही आत� था�
अंतत� टीवी की दुका� � गई…ए� घण्ट� की माथापच्ची के बा� ब्रांड और साइज दोनो� डिसाइड हो गया। दुकानदार ने गारंटी कार्� बढ़ाया। और अंतत� हमें एक छोटे से कॉटन बॉक्� के दर्श� हु�.. पत� चल� कि इसको रिक्शे से घर तक ले जाने की सारी जिम्मेदारी मेरी है�
रिक्शे पर टीवी जी को रख� गया। हम एंटीना और ता� लेकर इस अंदा� मे� बैठे मानो� सती� धव� अंतरिक्ष केंद्र से को� मिसाइल लांच करने जा रह� हो�..रस्त� मे� जो दिखत�, उसके पूछन� से पहले ही बत� देते, टीवी है जी�!
आख़िरका� रिक्शा ने गांव मे� प्रवेश किया� घर की दहली� � गई� मोहल्ल� के सारे लो� अपने-अपने दरवाजे पर.. उस दि� रिक्शे से उतरक� लग� कि हम टीवी लेकर नही� बहुत सारी इज्ज� औऱ प्रतिष्ठ� लेकर लौटे हैं। और दुनिया से हम कह सकते है� कि देखो, हम बराब� है�, बिल्कु� बराबर।
अब हमार� पा� इतनी ताकत है कि हम कृषि दर्श� को भी रंगोली समझक� दे� सकते हैं। हमार� लि� खेतो� मे� गोबर का छिड़काव और मोरा जियर� डरने लग�,धक धक करने लग� जैसे गाने मे� को� अंतर नही है� क्योंक� आज से इस टीवी का स्वि� हमार� हाथो� मे� है�
अंतत� टीवी जी को एक मे� पर रख� गया। शु� का� से पहले अगरबती दिखा� जी� फि� तो मे� पर पड़ी धू� को अपनी स्कू� ड्रे� से सा� किया और बिना नहाए-धो� अगरबत्ती जलाक� तैती� कोटि के देवताओ� का स्मर� किया कि हे प्रभ� अब आप ही इस टीवी की रक्ष� करना�
लेकि� तब शायद शु� मुहूर्� नही था� दादी ने कह� भी था कि टीवी पर सबसे पहले जय हनुमान चलेगा…सिनेम� नही चलेगा। शु� का� भगवा� से शुरू होना चाहिए।
हमने कह�, नही, आज तो शुक्रवार है, आज तो फ़िल्� आएगी, आज ही टीवी चलेगा। इतना सुनत� ही अचान� बिजली चली गई� मन का आंगन अंधेरे से भर गया। सारा चित्रहार झिलमिल� उठा। दादी ने कह�, देखो, हम कह� थे � कि मत चलाओ आज..अब लो�
दि� के कोने मे� दबी सारी चीखे� बाहर आन� को हो आई� हा� रे बिजली तूने ये क्या किया�
बग� के एक चाचाजी से देखा � गया…उन्होंन� कह�,”कोई बा� नही�..हम बैटरी लाते है�..टीवी तो आज ही चलेगा।
आखिरका� बैट्री � गई� टीवी के झिलमिलान� और खसखसान� का एक मधुर ना� वातावर� मे� गुंजायमा� हो उठा। सबके मुरझाए चेहर� पर रा� रानी के फूलो� सी रौंन� उत� आई..
और एंटीना हिलाते-हिलाते ये पत� चल� कि टीवी पर तो बाज़ीगर � रही है� जो हारक� जी� जा�, उस� बाजीगर कहते� हैं। उस रा� हम भी तो हारक� जीते थे� रा� भर टीवी के सामन� हम बाजीगर बनकर बैठे ही रह गए�
सुबह उनीदी आंखो� से उठे। माताजी ने कह� आज तो स्कू� है, स्कू� जावो� दादी ने कह�, जाने दो, इस� नींद � रही� सो जावो, मंडे को जाना�
हमार� तो मज� ही हो गए� शनिवार से लेकर पूरे रविवार के हर प्रोग्रा� हमने तब तक देखा, जब तक बाबा ने आक� ये � कह दिया कि टीवी को थोड़ा आराम कर दो, देखो तो एकदम हीटर के माफ़ि� गर्म हो गया। जल भी सकता है�
हमने टीवी बन्द कर दिया� और सोमवार को सीना चौड़ाकर स्कू� पहुँ� गए�
अब स्कू� मे� हम भी उन चं� छात्रो� मे� से एक थे, जो रा� को आन� वाले टीवी सीरियल्स और फिल्मो� की कहानियों के बारे मे� विशेषज्ञ होने का दावा करते थे� हमने भी सबको बाज़ीगर की कहानी बताई� बताय� कि शनिवार को बेता� मे� क्या हुआ। रविवार शा� चा� बज� से आन� वाली फ़िल्� मासू� कितन� मासू� था�
आमतौ� पर टेलीविजन चर्च� मे� सबसे पीछे रहने वाले मु� बालक को देखक� उस फील्� के जानकारों मे� हड़कम्प मच गई� भा� आखिर ये मार्के� मे� टीवी का नय�-नय� एक्सपर्ट कबसे पैदा हो गय� ? हमने शा� से बताय�, अब हमार� घर भी टीवी � गया।
कु� ही दे� मे� असेंबली का सम� आया। प्रिंसिप� ने कह�, क्लॉ� फाइव वाले जो लो� शनिबार को स्कू� नही आए थे, खड़� हो जाएं� क्लॉ� टीचर ने अपना एंटीना हमारी तर� घूमा दिया� हमने खड़� होकर उस सम� स्कू� � आन� के सारे बहान� गिना दि�, जैसे भै� की तबिय� खराब थी..बु� मर गई है�..मौसा हॉस्पिटल मे� हैं।
लेकि� चूंक� पिछ्ले हफ्त� बु� को हम एक बा� मा� चुके थे, इसलि� इस बा� फूफा को मारक� का� चलान� पड़� तब तक एक लड़के ने उठकर कह�, नही सर, ये झू� बो� रह� है, इसके घर टीवी आय� है � ?
इसके बा� तो हमारी इतनी पिटा� हु� कि हम खु� दूरदर्शन बन गए और सारा स्कू� दर्शक।
आज स्मार्टफोन के दौ� मे� पैदा होने वाली पीढ़ी भल� � इसका महत्� � सम� सके। लेकि� इंस्टाग्रा� की रिल्� स्क्रॉ� करते हु� पच्ची� सा� पहले एक टीवी के चक्क� मे� पीटे जाने का सु� या� करके मन रोमांचित सा हो जाता है�
हम जीवन के सबसे उबासी भर� सम� मे� बा�-बा� उसी टेलीविजन के सामन� जाकर बैठे, ये जानत� हु� भी कि इसके सामन� बैठक� हम वक्त से पहले बड़� हो जाएंगे�