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Zakiansaripoems Quotes

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Mohammed Zaki Ansari
“Khalo KItabat :-
ख़तो किताबत की जरूर� क्यो� तुम्हे� महसू� होगी
तुमन� शायद अपनी को� दुनिया बस� ली होगी
ख़तो किताबत की जरूर� क्यो� तुम्हे� महसू� होगी


केसा होगा तेरा, घर वो जहाँ मे� नही� हू�
यह सो� कर ही खु� हो जाऊं तस्वी� मेरी लग� ली होगी
ख़तो किताबत की जरूर�, क्यो� तुम्हे� महसू� होगी
तुमन� शायद अपनी को� दुनिया बस� ली होगी


भर� हु� क्या, कभी तुम्हे यह
लग� जो जैसे मे� आय� ,
दरवाज़े पर दस्त� की, आह� कभी तो आती होगी
दरवाज़े पर दस्त� की आह� कभी तो आती होगी
तुमन� शायद अपनी को� दुनिया बस� ली होगी


चलते चलते राहो� मे, क्या अक़्स� रु� जाते हो तु�
कभी किसी की सूरत मे मेरी झल� तो आती होगी


भू� गए हो सब कु� या, यादो� मे कही मे� बाक़ी हू�
बीते लम्ह� की कु� बाते� कभी तो सताती होगी
ख़तो किताबत की जरूर� क्यो� तुम्हे� महसू� होगी
तुमन� शायद अपनी को� दुनिया बस� ली होगी
तुमन� शायद अपनी को� दुनिया बस� ली होगी”
Mohammed Zaki Ansari, "Zaki's Gift Of Love"